Prem ka Purvabhas - 1 in Hindi Love Stories by Rakesh Rakesh books and stories PDF | प्रेम का पूर्वाभास - भाग 1

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प्रेम का पूर्वाभास - भाग 1

छ वर्ष का आदित्य अपनी मां से कहता है "अभी मम्मी घर से बाहर नहीं जाना आंगन में एक पागल कुत्ता घूम रहा है, वह आपको काट खाएगा।"

और जब पागल कुत्ता आदित्य की मां को काट लेता है तो वह सोचती है शायद घर की खिड़की के पीछे लोग आपस में खड़े होकर बात कर रहे होंगे की एक पागल कुत्ता इधर-उधर घूम रहा है और किसी को काट लिया होगा है तो आदित्य ने सुन लिया होगा, लेकिन जब एक महीने बाद आदित्य अपने पिता जी के ड्यूटी से घर आने से पहले कहता है कि मम्मी पापा आज दूध जलेबी खाने के लिए लाएंगे क्योंकि पापा को चाय की दुकान के पास ₹500 पाए हैं।

और शाम को जब उसका पति यानी कि आदित्य का पिता दूध जलेबी देकर कहता है "यह लो दूध जलेबी खाओ आज मुझे चाय की दुकान के पास ₹500 जमीन पर गिरे हुए पाए थे और मैं वहां खड़े बहुत से लोगों से पूछा कि यह किसके ₹500 गिरे हैं तो जब किसी ने जवाब नहीं दिया तो वह ₹500 मैंने अपनी जेब में रख लिए तो वह आदित्य की मां इस समय अपने बेटे आदित्य को सीने से लगाकर अपने पति से कहती है "हमारा बेटा और बच्चों से अनोखा है, इसे होने वाली घटनाओं का पूर्वाभास हो जाता है।" आदित्य के पिता अपनी पत्नी की इस बात को ज्यादा महत्व नहीं देते हैं।

और एक दिन जब आदित्य अपने माता-पिता के साथ सर्कस देखकर घर वापस आ रहा था तो रात की आखिरी बस में अपने माता-पिता को चढ़ाने नहीं देता है और जब उसके माता-पिता उसका कहना नहीं मानते हैं और उसे साथ लेकर आखिरी बस में चढ़ने लगते हैं, तो वह रो-रो कर अपना बुरा हाल कर लेता है रो रो कर बस एक ही बात कहता है कि "आगे यमुना के पुल को तोड़कर यह बस नदी में गिर जाएगी उस रात आदित्य की इस बात को बेफिजूल कि जिद समझ कर उसके पिता उसे पीटते हुए ऑटो से घर लाते हैं गुस्से में पिटते इसलिए है क्योंकि सर्कस की दो टिकटों के बराबर उन्हें ऑटो का किराया देना पड़ा था, लेकिन जब सुबह के अखबार में उसके पिता पढ़ते हैं कि रात को सर्कस देखकर हम जिस बस से घर आने वाले थे वह यमुना के पुल को तोड़कर यमुना नदी में गिर गई है और बहुत से लोग घायल हुए हैं और इस एक्सीडेंट में ड्राइवर समेत दो यात्रियों की मृत्यु हो गई है, तो उस दिन के बाद से आदित्य के माता पिता भी महत्वपूर्ण बड़ा काम करने से पहले आदित्य की सलाह जरूर लेने लगते हैं कि हम यह काम करें या ना करें अगर करें तो किस सावधानी के साथ करें।

और आयु के बढ़ने के साथ-साथ आदित्य की पूर्वाभास की शक्ति कम होने लगती है। आदित्य की आयु बढ़ाने के साथ-साथ आदित्य और उसके माता-पिता भी भूल जाते हैं कि कभी बचपन में आदित्य को पूर्वाभास होता था।

आदित्य पढ़ाई-लिखाई खेलकूद सब में बहुत होशियार था, इसलिए उसके माता-पिता को भी आदित्य से बहुत उम्मीदें थी कि वह पढ़ लिखकर दुनिया में बहुत धन दौलत शोहरत कमाएगा।

लेकिन जब वह 12वीं कक्षा में पहुंचने के बाद एक दिन स्कूल से घर आने के बाद आदित्य अपनी मां से कहता है कि "मैं 12वीं पास करने के बाद पढ़ाई छोड़ दूंगा।"

"ऐसा क्यों कह रहा है बेटा तुझे तो पढ़ लिखकर बहुत बड़ा कामयाब आदमी बनना है।" मां कहती है

"मां मुझे ऐसा पूर्वाभास हो रहा है कि कॉलेज या उसके आसपास मुझे ऐसी लड़की मिलेगी जिसकी मदद करते-करते मुझे उससे प्यार हो जाएगा और उसको किसी बड़े संकट से निकलते वक्त मेरी मौत हो जाएगी।" अपने इकलौते बेटे की यह बात सुनकर आदित्य की मां बहुत डर जाती है और कहती है "बेटा तू चिंता मत कर मैं तुझे किसी भी हालत में कॉलेज की पढ़ाई नहीं करने दूंगी।"

अपनी बेटे की यह बात सुनकर आदित्य के पिता भी घबरा जाते हैं क्योंकि उन्हें भी पता था कि हमारे बेटे के पूर्वाभास हमेशा सत्य ही होते हैं लेकिन पढ़ाई में इतने होशियार बेटे की पढ़ाई बीच में छुड़वाने का भी उनसे दुख बर्दाश्त नहीं हो पता है।

इसलिए आदित्य अपने माता-पिता का दुख समझ कर कि जब संतान का भविष्य बर्बाद होता है तो उन माता-पिता पर क्या बिताती है। यह बात सोचकर आदित्य अपने माता-पिता से झूठ बोल देता है कि "मुझे दोबारा पूर्वाभास हुआ कि मैं बहुत बड़ा वकील हूं और अपने नाती पोतों पाती के साथ पार्क में रोज खेलने जाता हूं।"

अपने बेटे के झूठे पूर्वाभास को सच मानकर आदित्य के माता-पिता खुश हो जाते हैं कि हमारे बेटे की आयु बहुत लंबी है और वह वकील बनेगा।
और 12वीं अच्छे नंबरों से पास करने की वजह से आदित्य का शहर के मशहूर कॉलेज में दाखिला हो जाता है।

कॉलेज के पहले ही दिन उसकी धोखेबाज गद्दार प्रेम नाम के युवक से मित्रता हो जाती है प्रेम अपने फायदे के लिए किसी की हत्या भी कर सकता था।

आदित्य को दुनियादारी की बहुत कम समझ थी उसकी सबसे बड़ी कमजोरी थी कि वह जल्दी ही किसी पर विश्वास कर लेता था लेकिन वह बुद्धिमान समझदारी युवक था।

स्कूल के बाद कॉलेज की पढ़ाई के लिए जाने की वजह से आदित्य का पढ़ाई का खर्चा बढ़ गया था, जैसे महंगी किताबें अच्छे महंगे कपड़े आने जाने का किराया आदि और जब आदित्य खर्चा उठाने में उसके पिता और समर्थ हो जाते हैं तो वह सुनार की दुकान की छोटी सी नौकरी छोड़कर अपने पूर्वजों के गांव की खेती की जमीन और गांव का मकान बेचकर आदित्य के कॉलेज के पास जमीन खरीद कर सुंदर मकान बना लेते हैं और किराए पर दुकान लेकर उस किराए की दुकान में सुनार काम करते हैं क्योंकि आदित्य के पिता एक होशियार जौहरी थे इसलिए वह सुंदर सोने चांदी के जेवर बनाते थे और कुछ ही महीना में आदित्य की घर की आर्थिक स्थिति सुधर जाती है।

अब आदित्य बस की जगह बाइक से अपने कॉलेज जाने लगता है एक दिन सुबह-सुबह आदित्य बाइक से कॉलेज जा रहा था तो उसे एक लड़की स्कूल की यूनिफार्म और स्कूल का बैग लिए लिफ्ट मांगती मिलती है आदित्य उसे इसलिए लिफ्ट दे देता है कि शायद यह है अपने स्कूल पहुंचने में लेट हो रही है लेकिन वह लड़की स्कूल जाने की जगह रेलवे स्टेशन के आगे उतरती है देखने में वह लड़की भोली भाली हद से ज्यादा सुंदर परी अप्सरा जैसी लग रही थी, जब आदित्य को यह बात हजम नहीं होती है कि यह खूबसूरत लड़की स्कूल जाने की जगह रेलवे स्टेशन के पास मेरी बाइक से क्यों उतरी कहीं यह है किसी लड़के के बहकावे में आकर अपना घर छोड़कर तो नहीं भाग रही है और किसी काम से अगर अकेले रेलवे स्टेशन आई है, तो भी यह सही नहीं है क्योंकि रेलवे स्टेशन बस अड्डो पर चोर लफंगे अपराधी यात्रियों को लौटने के लिए घूमते रहते हैं।